शुक्रवार, जुलाई 27, 2012

हमें बचाओ .... हम जल रहे है

बहुत दिनों बाद दरबार लगाया है . कई दिनों से यह वायरस से पीड़ित  था . आज देखा तो ब्लॉग की  तबियत ठीक लग रही थी . इसलिए कुछ जुगाली कर ही ली जाए . कई विषय सामने से गुजर गए जिस पर लिखना चाहता था लेकिन ..... खैर देर आयद तो दुरुस्त आयद

सब से ज्वलंत विषय है मेरे शहर बरेली में पिछले 6 दिनों से चलने वाला कर्फ्यू .. हिन्दू मुस्लिम दंगे के बाद तीन चार मौतों के बाद आगजनी हुयी और अंजाम हुआ की कर्फ्यू ... कावारियां निशाना बने और फिर राजनीति ने आग में घी डाला .जब घी पड़ा है तो आग भडकेगी ही . और वही हुआ दो साल में दूसरी बार दंगे हुए  हम बरेली वाले जो अमन पसंद का तमगा लगाए घूमते थे आज अलीगढ ,मुरादाबाद ,मेरठ से भी ज्यादा बदनाम हो गए .

यह बार बार के दंगे हम को बर्बाद तो कर ही देंगे .एक विचार आता है यह दंगे आम क्यों होते जा  रहे है ? बहुत सोचने के बाद मुझे तो यह लगता है दंगाईयो पर कठोर कार्यवाही न होना एक कारण है . डर तो किसी का नहीं है दंगाइयो को इसलिए बार बार वह अपने नापाक इरादों पर कामयाब हो जाते है और हमारे शासक वोटो के नुक्सान के डर से खामोश रहते है . चाहे वह कोई हो .... यह वादी या वह वादी

हमारे लिए तो रोजमर्रा की बात हो गई है जैसे वियतनाम ,ईराक और अफगानिस्तान हो यह ......

सबसे मज़े की बात यह है हमारा दर्द बस हमारा होकर रह गया है .प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया को मूर्ति की चिंता है ,अन्ना के सर्कस में भीड़ ना आने की चिंता है ,तिवारी के डी एन ऐ की चिंता है ............ लेकिन एक शहर में लगी आग की चिंता नहीं जिसमे जल रहा है हमारा सदभाव


3 टिप्‍पणियां:

  1. Assam, Bareli sab Jagah yahi Haal hai ... Desh ki chinta kam se kam in netaon ko to nahi ...

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  2. वोटों का दर्द जनता के दर्द से बड़ा हो गया है आज।

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आप बताये क्या मैने ठीक लिखा