tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post8035182537008504545..comments2023-07-28T18:44:10.707+05:30Comments on Darvaar दरबार: वन्देमातरम ,मराठी हिन्दी जैसे विवाद प्रायोजित है क्योकि महंगाई पर ध्यान ना जाएdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-72021454502772538082009-11-17T11:11:42.913+05:302009-11-17T11:11:42.913+05:30मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का खेल तो चल रहा है .....मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का खेल तो चल रहा है .. यहाँ ब्लॉग पर भी ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-19934007431237555712009-11-10T19:05:41.387+05:302009-11-10T19:05:41.387+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-20519330502514144082009-11-10T00:16:57.791+05:302009-11-10T00:16:57.791+05:30सोचने लायक बात हैसोचने लायक बात हैBatangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-11019665410875206332009-11-09T22:35:24.181+05:302009-11-09T22:35:24.181+05:30आपकी और आलोक नंदन जी दोनों की बातों से सहमत हूँ.आपकी और आलोक नंदन जी दोनों की बातों से सहमत हूँ.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-50903309116600912742009-11-09T21:48:59.701+05:302009-11-09T21:48:59.701+05:30अदभुत....अभी सही चीज पकड़ के लाये हैं आप...जोर से ...अदभुत....अभी सही चीज पकड़ के लाये हैं आप...जोर से चिखने की इच्छा हो रही है .....कोई सुन रहा है ????????? सुनेंगे कैसे चारों तरफ शोर जो खड़ा कर दिया गया है...क्या पक्ष और विपक्ष के बिना डायरेक्ट जनता के हाथ मे शासन की कोई व्यवस्था के विकल्प तलाशने का समय आ गया है ?? या अभी पक्ष और विपक्ष को आजमाते रहना है?? जो आज पक्ष है वह कल विपक्ष है, जो कल विपक्ष था वो परसों पक्ष रहेगा....सारे शोरगुल के अपने अपने बेहुदे तर्क हैं...देश की आवाज कहां गुम है..???<br /> धीरू सिंह जी मुझे तो आपकी ही आवाज में देश की सही आवाज सुनाई दे रही है....पता नहीं आप किस बल के सहारे ऐसी बातें कर रहे हैं....आश्चर्य, घोर आश्चर्य ......बहुमत के बजाय देश आप जैसे लोगों के जनमत के आधार पर चलनी चाहिये...अब तो हद हो गई है....किनके कनेक्शन को कहां से खोला जाये और कहां से शुरु किया जाये, बेमानी हो चला है...लेकिन मार्के की बात कहीं होती है तो बरबस स्वर में स्वर मिलाने की इच्छा होती है....मैं जूते नहीं चला सकता, इसलिये नहीं कि कमजोर हूं, बल्कि इसलिये कि दूसरा जूता मेरे पास है नहीं...और नही एक जोड़ी जूता खरीदने की औकात...लगता है जिस समय बुश और चिदंबरम पर जूते फेंके गये थे उस समय दुनिया आर्थिक मंदी में नहीं फंसा था...अब यदि साग सब्जी और चावल दाल मंहगे हो रहे है तो सतर्क तो होना ही चाहिये....राणा प्रताप सिंह की तरह लोग घास तो खाएंगे नहीं....हां बास्तिल की रोटियों की लूटपाट जरूर होगा....वैसे सरकारी खजानों में गोलियो की कमी नहीं है....यकीनन इनको झोकने में राज्य की ओर से कोई कमी नहीं की जाएगी....और गोलियों की थर्राहट के आगे पेट का आग झुलस जाता है....Alok Nandanhttps://www.blogger.com/profile/08283190649809379160noreply@blogger.com