tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post4801067864648008807..comments2023-07-28T18:44:10.707+05:30Comments on Darvaar दरबार: इंडिया और इंडियन को दफा करो अपने भारत सेdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-19618302935624721652008-12-19T14:01:00.000+05:302008-12-19T14:01:00.000+05:30धीरू सिंह, भाई इंडिया अंग्रेजों की कारस्तानी नह...धीरू सिंह, भाई इंडिया अंग्रेजों की कारस्तानी नही है , यह उस युग की उत्पति है जब अंग्रेज आधुनिक आदिवासियों [ उस युग के सापेक्ष ]की श्रेणी में आते थे , पत्तों -पेडों की छाल से जानवरों की खाल पहनने की स्थिति में आचुके थे , यह नाम ग्रीको - रोमन [यवन =यूनानी ] के '' इन्दुस या इन्डस " [Indus ] से जन्मा है जिसे उन्हों ने सिन्धु नदी एवं सिन्धुकुश पर्वत के आर -पार रहने वाले वासियों जिन्हें अरब देशों ने हिन्दू कुश और सिन्धु नदी के तीर रहने वाले लोगों को " हिंदू " अब इसपर अजित वडनेरकर ही ज्यादा हाई -मास्ट फेंक सकतें हैं [अज - कल कोहरा ज्यादा है तीनदिन से सूरज नही दिखा है ] , | यह इस लिए बता दिया की कहीं इसकी ख़बर हमारे " सरदार जी '' [ अरे डा ० महीप सिंह प्राजी o ना समझ लें ] को ख़बर ' लग गयी तो वे एक लेख अखबारों में अंग्रेजी दारू पीते दुम्बे की टांग पाडते "एन्ग्रेजों की प्रशस्ति" में एक लेख लिख फेंकेंगे [ब्लागर बन्धुओं देंखें ' 'दैनिक जागरण / दैनिक हिन्दुस्तान 2008 नव० 15 दिन शनिवार ' ना कहू से दोस्ती ना काहू से बैर :: अंग्रेंजी राज की याद में ::'] और गत वर्ष के हृदयाघात के बात से डाक्टरों ने मुझे इन चीजो से परहेज बाताया है इसी लिए मई अभी तक अंग्रेजी दारूओं का मुजियम देखने नही गया हूँ ] \ वैस धीरू भाई ने मेरी आत्मा की आवाज ही उठाए है | मेरे जमाने में डा ० लोहिया जी ......खैर यह किस्सा फ़िर कभी जय राम जी की'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-35832749244344417152008-12-19T10:49:00.000+05:302008-12-19T10:49:00.000+05:30धीरू जी ,बहुत दिनों से आपके ब्लॉग को पढ़ रहा था औ...धीरू जी ,बहुत दिनों से आपके ब्लॉग को पढ़ रहा था और आपके विचारो से सहमत भी हूँ लेकिन इसी बात को लेकर आपको प्रतिक्रिया नही दे पा रहा था | आपने मेरी भावनाओं की कद्र की इसके लिए आपका आभारी हू | आपने एक स्वस्थ आलोचना को स्वीकार किया जिस कारण हमारे मन में आपके प्रति आदर बढ़ा है |pcdhttps://www.blogger.com/profile/15501551254170562344noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-66164228636914306342008-12-18T20:15:00.000+05:302008-12-18T20:15:00.000+05:30भावनाओ से खेला तो कभी नही .लेकिन आपकी शिकायत को द...भावनाओ से खेला तो कभी नही .लेकिन आपकी शिकायत को देखते हुए इस घड़ी को हटा रहा हूँ . हमारी सभ्यता की सबसे बड़ी कमी है आरोप . और इन्ही के कारन राम को भी सीता को निकालना पड़ा था .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-22081250494234919752008-12-18T20:07:00.000+05:302008-12-18T20:07:00.000+05:30धीरू जी,इसी टैग ने तो सब खेल खराब कर दिया है.धीरू जी,इसी टैग ने तो सब खेल खराब कर दिया है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-30916442892767684202008-12-18T16:30:00.000+05:302008-12-18T16:30:00.000+05:30बंधुवर क्या आपने यह पोस्ट केवल आम भारतीयों की भाव...बंधुवर क्या आपने यह पोस्ट केवल आम भारतीयों की भावनाओं से खेलने के लिए लिखी है ? क्योकि मुझे तो आपकी कथनी और करनी मैं फर्क नजर आ रहा है | आपकी घड़ी तो उन्ही अग्रेजो के धर्म का प्रचार प्रसार करती नजर आ रही है जिन्होंने भारतीयता को तहस नहस किया |pcdhttps://www.blogger.com/profile/15501551254170562344noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-81950518575166561782008-12-18T15:08:00.000+05:302008-12-18T15:08:00.000+05:30हम आपके साथ हैं !हम आपके साथ हैं !रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-72165191842244110742008-12-18T01:30:00.000+05:302008-12-18T01:30:00.000+05:30धीरू भाई आज इस बात को लेकर एक जर्मन से बात हो रही ...धीरू भाई आज इस बात को लेकर एक जर्मन से बात हो रही थी, गोरे तो सिर्फ़ युरोप मै ही थे? आज अमेरिका, अस्ट्रेलिया, अफ़्रीका, कानाडा सब ओर फ़ेल गये.... कारण हम( भुरे, ओर काले लोग अपने आप को तुच्छ समझते है, ओर गोरो को महान.... यही भावना अब भी भारत समेत बहुत से देशो मै है... जिस दिन यह भावना ःअट जायेगी हम गोरो को अपने जेसा ही आम समझेगे.... उस दिन ईंडिया खुद वा खुद भारत बन जायेगा, <BR/>मै आप सब के साथ हुं.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-74749599366494356412008-12-17T21:34:00.000+05:302008-12-17T21:34:00.000+05:30हम है हिंदुस्तानी, हम है हिदुस्तानी...हम है हिंदुस्तानी, हम है हिदुस्तानी...चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-72863859225539674362008-12-17T19:10:00.000+05:302008-12-17T19:10:00.000+05:30Bahut badiya likha hai.Bahut badiya likha hai.सचिन मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07382964172201827333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-48054154729865596032008-12-17T18:45:00.000+05:302008-12-17T18:45:00.000+05:30सही कहा धीरू जी . जय हिन्द !सही कहा धीरू जी . जय हिन्द !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-85017788694193378662008-12-17T17:59:00.000+05:302008-12-17T17:59:00.000+05:30आपकी भावनायें तारीफ के लायक हैं। आज जरूरत है अपनी ...आपकी भावनायें तारीफ के लायक हैं। <BR/>आज जरूरत है अपनी संस्कृति को समझने की, अपनी विरासत को सहेजने की। गलत शिक्षा नीतियों के कारण हमें आज पश्चिम अपने से बेहतर लगता है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि आज जिन बुराईयों से वे धीरे-धीरे मुंह मोड रहे हैं, उन्हीं को हम अपनाते जा रहे हैं। जिसका फल भी अब दिखने लग गया है। <BR/>सबसे पहले हमें अपने पर विश्वास करना सीखना होगा। जन-मानस में, जैसा भी है, अपने देश के प्रति समर्पण की भावना कूट-कूट कर भरनी होगी।गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-61830809932100477052008-12-17T15:20:00.000+05:302008-12-17T15:20:00.000+05:30हम आपके साथ हैं.हमें इंडियन नहीं भारतीय होने पर गर...हम आपके साथ हैं.<BR/>हमें इंडियन नहीं भारतीय होने पर गर्व है. <BR/><BR/>शायद आपने अंग्रेजी में 'proud to be Bhartiy not indian'इसलिये लिखा कि इंडियन लोगों तक भी यह बात पहुंच जाय . सही है न .Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-41584422693463883972008-12-17T14:34:00.000+05:302008-12-17T14:34:00.000+05:30बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति है...---------------चाँद, ...बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति है...<BR/><BR/><BR/>---------------<BR/>चाँद, बादल और शाम<BR/>http://prajapativinay.blogspot.com/Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-23919066243570730082008-12-17T12:32:00.000+05:302008-12-17T12:32:00.000+05:30जय भारतजय भारतdrdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-60895367562686522132008-12-17T11:52:00.000+05:302008-12-17T11:52:00.000+05:30सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीय कहने मे ही गर्व महसूस करें...सिर्फ़ और सिर्फ़ भारतीय कहने मे ही गर्व महसूस करें <BR/>"" हम आपके साथ हैं" <BR/><BR/>regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2308429141619302170.post-7831056889309588662008-12-17T11:27:00.000+05:302008-12-17T11:27:00.000+05:30आलेख तो बिल्कुल सही लिखा ,आपकी भावनाओ को समझ गयी,...आलेख तो बिल्कुल सही लिखा ,आपकी भावनाओ को समझ गयी, पर हिन्दी के आलेख में 'proud to be Bhartiy not indian' की क्या जरूरत ?संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com